महादेव का प्रेम प्याला
पति के मरने के बाद मीरा पर व्यभिचार का आरोप लगाया गया। उन दिनों व्यभिचार के लिए मत्यु दंड दिया जाता था। इसलिए शाही दरबार में उन्हें विष पीने को दिया गया। उन्होंने कृष्ण को याद किया और विष पीकर वहां से चल दीं। लोग उनके मरने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वह स्वस्थ्य और प्रसन्न बनी रहीं। इस तरह की कई घटनाएं हुईं। दरअसल भक्ति ऐसी चीज है, जो व्यक्ति को खुद से भी खाली कर देती है। मीरा ने कृष्ण प्रेम का जो प्याला पिया, उसके आगे यदि कोई विष का प्याला भी दे दे तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता ।
व्यक्तित्व सोच, भावना और व्यवहार के विशिष्ट पैटर्न में व्यक्तिगत अंतर को संदर्भित करता है। जब बच्चा पैदा होता है, तो वह ऊर्जा, करुणा, पवित्रता, शक्ति और प्रेम से भरे सफेद कैनवास की तरह होता है। लेकिन धीरे-धीरे कर्मों, प्रतिक्रियाओं, सामाजिक, सांस्कृतिक सीमाओं से, अपने कर्मो से यह काली अवस्था में बदल जाता है.... श्वेत मन और अच्छी बुद्धि भी लोभ, शक्ति, ईर्ष्या, घृणा, कठोरता और हृदयहीनता का आवरण धारण कर लेती है।जब हमारा शरीर और विचार जैसे सफेद कैनवास काले रंग में बदल गए हो और अंदर खालीपन महसूस हो रहा हो, तब मैं कौन हूँ?? इस पर काम करना शुरू करने के लिए जीवन में समय की निकालने की आवश्यकता है? व्यक्ति को अपने आप से पूछना चाहिए, मुझे मन की शांति, सुख और आनंद की स्थिति कैसे मिल सकती है। हमें अपने कैनवास को सजाना शुरू करना होता है। अपने मन की स्थिति को ऊपर करने के लिए ध्यान बहुत सहयता करता है ।
रुकना नही है, इस प्रकिया में, चलते रहना है। परिस्थितियाँ कभी कभी बदलती रहती है, चाहे आपकी निजी जिंदगी हो या आपके व्यापार पर आधारित। अपने ऊपर की मैं कौन हूँ कि खोज नहीं रुकना चाहिए। यदि हम अपनी मन की परतों की खोज कर, विचारों और भावनाओं के प्रभावों को देख पाते हैं तब ही, मन की सर्वोच्च अवस्था तक पहुँच सकते हैं, और जब आपकी मन की दशा बिल्कुल ठीक है तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि पति क्या बोल रहे है, सास क्या बोल रही है, व्यापार में कितनी विषम परिस्थितियाँ आ रही हैं ।
मोना ने जब महादेव भक्ति में प्रेम का प्याला पिया तो जो अपने अंदर अनुभव करती है उसको कैनवास पर उतार देती है या लिखने लग जाती है । मोना को बहुत सुकून मिलता है। साथ ही अकेडमी में बच्चों को पढाना भी उसको अच्छा लगता है, यह एक थेरेपी है। जो लोग किसी भी रूप में कला को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लेते है, चाहे वे खुद को कलाकार मानते हों या नहीं, वे आत्म-खोज की प्रक्रिया में भाग ले रहे ही रहें हैं जो उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित स्थान देता है। इसके अलावा, यह उन्हें अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण महसूस करने की अनुमति देता है। यह रचनात्मक प्रक्रिया अपने आप में सुखद है, लेकिन यह एकमात्र गतिविधि नहीं है इसमें कई अन्य प्रकार की कलाएं शामिल हैं, जैसे खाना बनाना, लिखना, बागवानी नाचना, गाना और भी बहुत कुछ । जो भी आपको अच्छा लगता है, ज़रूर करिये ।
मीरा की मन की स्थिति इतनी ऊपर थी कि विष तक उसको प्रभावित नहीं कर पाया । हर इंसान को अपने मन के तलो पर काम करना चाहिए । ध्यान और भक्ति के माध्यम से ही मन की अच्छी अवस्था को पाया जा सकता है। वह अवस्था आपके अंदर की क्रेटिविटी को जन्म दे देगी और मन और शक्तिशाली हो जाएगा तब कोई भी विष रूपी घटना यदि जीवन मे घटेगी तो आप उस विष को आसानी से पी पाओगे ।