ज्ञान के उजाले
ईश्वर सत्य है
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर है
जागो उठ कर देखो
जीवन ज्योत उजागर है
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
मोना के लिए प्रभु प्रेम ही सत्य है, उसके दिव्य प्रेम का अनुभव मे सबसे सुंदर उसके प्रभु हैं। "सत्यम् शिवम् सुंदरम्” का शाब्दिक अर्थ तो गीत में ही वर्णित है। वह है कि ईश्वर ही सत्य है, सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सुन्दर है। लेकिन दूसरी पंक्ति पर ध्यान दें तो जागने की बात की गई है। ‘जागो उठकर देखो जीवन ज्योत उजागर है, अर्थात् यह जो जीवन ज्योत है, यह जो ईश्वर है, इसे नींद में, अचेत अवस्था में अनुभव नहीं किया जा सकता। इसे अनुभव करने के लिए, देखने के लिए जागना आवश्यक है।
जागने का अर्थ क्या है? रात को सोने की क्रम में हम चेतना में नहीं होते, निंद्रा में होते हैं। सामान्यतः प्रातःकाल जब हम जागते है, तो इसे ही हम जागना समझते हैं। हम यह समझ लेते हैं कि हमारी आँखे खुल गयी और हम जाग गए परन्तु जिसे हम जागना समझते हैं, वास्तव में क्या यही जागने की अवस्था है! कोई धन के लिए चिंतित है तो कोई मान के लिए। किसी को गीत-संगीत का मोह है तो किसी को सौन्दर्य का मोह है। यह जो मोह है, इसके अनेक रूप हैं। इन सांसारिक मोह में हम स्वयं को ही भूल जाते हैं और फिर स्वयं को भुलाने के लिए अनेक मार्ग हैं, जिन्हें हम अपना लेते हैं। कोई मंदिर का सेवन कर रहा है, दुःख व प्रसन्नता के लिए । कोई देश विदेश भ्रमण रहा हैं तो कोई ना-ना प्रकार की वस्तुएँ क्रय करके स्वयं को प्रसन्न करने के प्रयास में है और यदि कोई अप्रिय घटना घटित जाए तो अवसाद की अवस्था मे भी पहुँच जाता हैं। अवसाद भी कोई छोटी अवस्था नहीं है, एक अच्छा भला मनुष्य जीवन जीने की इच्छा ही त्याग देता है।
सत्य, सौन्दर्य और शिव सब आपके अंदर है। केवल कुछ समय के लिए रुकना है। मोना एक रोमांटिक फ़िल्मी गाना गा रही थी कुछ लोगो के लिए, वो तो समझा सकती हैं प्रेम से, जो भाग रहे है,
"पल भर ठहर जाओ,
दिल ये संभल जाए,
कैसे तुम्हें रोका करुँ।
मेरी तरफ आता,
हर गम फिसल जाये,
आँखों मे तुमको भरु,
बिन बोले बातें तुमसे करुँ।
अगर तुम साथ हो।"
प्रभु तो हर दुख को स्वयं ही हमसे ले लेते है, जैसे माता-पिता अपने बच्चों को हर दुःख से दूर रखते है, वैसे ही ।
खोज में लगो एक बार, अपनी आतंरिक ज्योत को प्रज्वलित करो। चेतना में आने का उपाय यही है! ध्यान में उतरो, मन की आँखो को खोलने का प्रयास करो। सारा संदेह मिट जायगा, ज्ञान के उजाले में सबकुछ स्पष्ट दिखाई पड़ेगा। ध्यान जागरण का मार्ग है। ध्यान अपने भीतर के गहराइयों तक ले जाता है। जहाँ चेतना का प्रकाश है! जहाँ जीवन ज्योत प्रज्वलित है। वही मिलेगा स्वयं का, सत्यम् शिवम् सुंदरम् ।