मोना अपने महादेव के प्रति दिव्य प्रेम से भरी हुई हैं। जहाँ प्रेम होता है, वहां भय नहीं होता। जहाँ भय होता है, वह प्रेम नही हो सकता । प्रेम से भरा व्यक्ति डरता नहीं, कोई कारण डरने का ना रहा। प्रेमी मर सकता है, शांति से भी जीवन को दांव पर लगा सकता है क्योंकि जीवन से भी बड़ी चीज उसको मिल गई है।
लोगों को भयभीत करना आसान है पर प्रेम से किसी को भरना मुश्किल काम है क्योंकि प्रेम के लिए चाहिए, आंतरिक विकास। मोना हमेशा बच्चों से घिरी रहती है चाहे उसकी अकेडमी के बच्चे हो या खुद के। उसने बहुत माता पिता देखे, जो छोटे से बच्चे को आसानी से डरा देते हैं। कुछ नहीं हुआ तो हाथ ही उठा दिया, डॉट दिया। छोटे बच्चों को डराना बहुत आसान है क्योंकि वो तुम पर निर्भर है। मनुष्य का बच्चा, पशुओं के बच्चों से भी ज्यादा असहाय है। पशुओं के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा जरूरत होती है 10-15 दिन या एक महीना देख रेख की । मनुष्य के बच्चे से ज्यादा असहाय कोई नहीं है। माँ बाप के हटते ही, उनका सहयोग न मिलने पर, वो टूट जाता है, जीवन नष्ट प्रतीत होता है। यदि आप बच्चे को बहुत ज्यादा भय दिखा कर चुप करा देते हो तो उस समय तो वो शांत हो जाएगा पर उस शान्ति के भीतर अशांति है। उसने शान्ति नहीं सीखी, भय सीख लिया । अब जब उसका वक्त आएगा तो वो शायद सब कुछ वापिस कर दे वो भी ब्याज समेत।
माँ बाप बच्चे से प्यार करे, ये कोई बड़ी बात नहीं है। बच्चे यदि बडे होकर माँ बाप का आदर और सम्मान कर रहे है तो ये चेनतागत उपलब्धि है। ये तब संभव है जब आप मूल के प्रति चेतना से भर जाये। बच्चों मे श्रद्धा पैदा की जाए कि मेरे माता पिता उदगम है, स्त्रोत है। जहाँ से मैं आया हूँ, उससे पार जाने का कोई उपाय नहीं है। मैं कितना ही जान लूँ, कितना भी प्रतिष्ठित अपनी आँखों मे हो जाउँ। कितना ही मान सम्मान मिले, धन-संपदा मुझे मिले, फिर भी मुझे मूल और उदगम, मतलब माता पिता के सामने नतमस्तक रहना है क्योंकि कोई भी उदगम अर्थात माता पिता से ऊपर नहीं जा सकता। जैसे कोई वृक्ष अपने बीज से बड़ा नहीं होता, चाहे वह कितना भी बडा दिखाई दे। यदि यह भावना प्रबल है तो माता पिता के प्रति आदर हमेंशा बना रहेगा।
अपने उदगम के प्रति या माता पिता के प्रति सम्मान का बोध अत्यंत विचार और विवेक की बात है। वह प्रकृति से नहीं मिलती, विचार, चिंतन और ध्यान से उपलब्ध होती है। अतः बच्चों को श्रद्धा, विश्वास और ध्यान की शिक्षा अवश्य दें, इससे ही भय कम होगा और प्रेम का उदगम होगा ।
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