आध्यात्म माँ
महादेव की मोना - एक आध्यात्मिक माँ। आध्यात्मिक माँ की मुख्य विशेषताओं में से एक यह है कि वह एक ऐसी महिला है जो भगवान को सुनती है और उनकी आज्ञा का पालन करती है। माताएँ अपने बच्चों को जन्म देती है, खाना खिलाती हैं, कपड़े पहनाती है, पालन-पोषण करती है, निरीक्षण करती है, आराम देती है और लिखना पढ़ना सिखाती है, पर एक सतत चेतना के साथ। यदि माँ अपने बच्चे को सुन रही है तो सुन ही रही है, यदि उसकी तरफ देख रही है तो सिर्फ देख ही रही है, यदि माँ बच्चे को प्यार से भजन सुना रही है तो वो बच्चा माँ को बहुत प्यार और विस्मय से सुनता है, बिना किसी विचार के। प्रसन्न है, शांत है और माँ के प्यार को बिना किसी विचार के अनुभव कर पा रहा है। यदि माँ ने प्यार से गोद में बच्चा लिया हुआ है तो बच्चा और माँ एक ही हो गए है। बच्चा माँ के ममतामयी स्पर्श को अनुभव कर रहा है, माँ बच्चे को पूरी चेतना के साथ दुलार रही है। वहीं बच्चा जब बड़ा होगा तो इस प्रेम का अनुभव कर पायेगा। करुणा और प्रेम से ही आगे का जीवन जिएगा और दूसरों को भी कोई कष्ट देने से पहले सोचेगा। माँ ने अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाने का प्रयास किया। कलयुग मे मोना देखती है कि पुरूष तो भाग ही भाग ही रहा हैं, कैरियर को महत्च देने वाली महिलाएँ भी पद व प्रतिष्ठा के लिए अपने बच्चे को सिर्फ यंत्र वद पाल रही है। 6 महीने के बच्चे को भी शिशुगृह मे छोड़ देती हैं। क्या बच्चा वहाँ उस प्रेम का अनुभव कर पायेगा जो माँ के भीतर है, नहीं। समय निकल जायेगा। जो आत्मीय सुख व प्रेम का उसे अनुभव होना था व उससे वंचित है। सुख-सुविधा की चीजें कुछ समय का सुख दे सकती है बस, आंतरिक विकास के लिए निश्छल प्यार की आवश्यकता है।
कोई भी व्यक्ति प्रेम के बिना अधूरा है, प्रेम वो शक्ति है जो कोई भी असम्भव कार्य को संभव कर देती है, व्यक्ति हर समय प्रसन्न रहता है।
महादेव बोलते हैं कि मनुष्य की तरह जन्म लेना एक अच्छा आशीर्वाद है, स्त्री के रूप में जन्म लेना एक बेहतर आशीर्वाद है और माँ की तरह जन्म लेना सबसे अच्छा आशीर्वाद है। यह बहुत बड़ा सौभाग्य है। जब मैं माँ बनी तो एक बड़ा बदलाव आया है। एक माँ के प्यार के रूप में शक्तिशाली कुछ भी नहीं है, और एक बच्चे की आत्मा के रूप में उपचार के रूप में कुछ भी नहीं है। दोनों लड़कियों को जन्म देने के बाद मेरा हृदय और अधिक करुणामय हो गया। हमारे बच्चे इस वास्तविकता को देखने के लिए तरसते हैं कि हमारे जीवन के प्राकृतिक प्रवाह में परमेश्वर कौन है—जब हम उठ रहे होते हैं, जब हम बैठे होते हैं, जब हम यात्रा पर होते हैं, जब हम उन्हें बिस्तर पर रखते हैं। हमारे बच्चों को यह देखने की जरूरत है कि ईश्वर पर विश्वास रखना मायने रखता है कि यह हमारी दैनिक स्थितियों के लिए प्रासंगिक है, कि यह वास्तविक है। पवित्र और धर्मनिरपेक्ष के बीच के अंतर को मिटाते हुए हमें हर निर्णय में अपने जीवन को आध्यात्मिक बनाने की आवश्यकता है।
रामकृष्ण की महानता में से एक यह है कि उनका मानना था कि प्रत्येक पुरुष और महिला पवित्र है, और उन्होंने कभी भी महान होने का दावा नहीं किया, लेकिन सिर्फ एक आम आदमी जो काली देवी को एक आम महिला की तरह देखता था, भोला और सौम्य। वह हमेशा कहते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति मोक्ष से नहीं, बल्कि कार्य से होती है। वह हमेशा कहते हैं कि इंसानों के प्रति दयालु होना भगवान के प्रति दयालु होना है क्योंकि भगवान हर आदमी में रहते हैं। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी को देवी माँ का अवतार घोषित किया और देवी काली के आसन पर उनके साथ षोडशी पूजा की और इसलिए वे क्रांतिकारी थे।
मैं महादेव की आभारी हूँ कि उन्होंने मेरी बेटियों को मेरे पास लाए और मुझे और भी करुणामय आध्यात्म माँ बना दिया ।