चार मुखी रूद्राक्ष की जानकारी
चार मुखी रुद्राक्ष को स्वयं ब्रह्मा जी का रूप माना गया है। सर्व वेदों के ज्ञाता एवं संसार के रचयिता ब्रह्मा जी की शक्तियाँ इस रुद्राक्ष में समाहित हैं। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
पहचान
चार मुखी रुद्राक्ष की सतह पर चार धारियाँ (मुख) होती हैं। रुद्राक्ष को चतुर्मुख ब्रह्रा का स्वरूप माना गया है। यह चार वेदों का रूप माना गया है। यह मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुर्वर्ग देने वाला है।
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
इस रुद्राक्ष को आमतौर पर चांदी, सोने या पंचधातु के साथ पहनना चाहिए।आपको इसे सोमवार को दोपहर 12 बजे तक पहनना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप पूर्वोत्तर स्थिति में बैठे हैं और इसे पहनने से पहले भगवान शिव की प्रार्थना करें।
मंत्र
“ॐ ह्रीं नमः” का 108 बार जाप
चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ
जो व्यक्ति शिक्षा में कमज़ोर है उसे चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।चार मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मार्ग में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।
चार मुखी रुद्राक्ष एकाग्रता बढ़ाता है एवं वैज्ञानिक अध्ययन और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में चार मुखी रुद्राक्ष काफी फायदेमंद साबित होता है।
भगवान ब्रह्मा वेदों की आत्मा हैं जो मन को प्रकाशित करते हुए सर्वोत्तम ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं। यह रुद्राक्ष मनुष्य को मन की सुंदरता तक पहुँचा देता है।