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संसार में जितनी भी उपचार पद्धतियाँ हैं, उन सभी में एक बात समान है।
शरीर द्वारा लिया गया आहार एवं मन में उत्पन्न भाव, रोग अथवा निरोगता के कारण बन सकते हैं।
जितना महत्वपूर्ण आहार है, उतना ही महत्वपूर्ण उसके सेवन का समय एवं मनः स्थिति भी है।
इस आधारभूत विषय को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद ने हमें अनेक नियम बताए हैं।
हमें जिस शरीर को 100 वर्ष तक चलाना है, उसे स्वस्थ रखने हेतु यह नियम जानना आवश्यक है।
बचपन से ही इन्हें पढ़ और आत्मसात कर लेने से मनुष्य स्वस्थ रह सकेगा।
इसी विचार के साथ यह पुस्तक मानव मात्र के लिए प्रस्तुत है।
प्रस्तुत पुस्तक पढ़कर आगे पाठकों की रुचि क्या और जानने में है, इस पुस्तक में और किस सुधार की आवश्यकता है, कृपया अपने विचार वेबसाइट Rasahara.com पर डालकर सूचित करें, इतनी ही आपसे अपेक्षा है।