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आयुर्वेद हमारे पूर्वजों की विरासत है। मानव शरीर एवं उसके रोगों का अध्ययन करने वालों के लिए यह अद्भुत आश्चर्य का विषय है कि, मेडिकल साइंस जब नहीं था तब भारतीय स्वस्थ कैसे रहते थे? यह जिज्ञासा प्रत्येक मानव शरीरधारी के मन में होना ही चाहिए। पूर्वजों की यह धरोहर हमारे अहंकार का कारण न बने, वरन् अध्ययन का कारण बने। इसलिए यह ज्ञान केवल पुस्तकों में नहीं रहना चाहिए। सामान्य जन इसे आत्मसात कर सकें और जीवन में इसका उपयोग कर सकें, इस हेतु यह पुस्तक प्रत्येक भारतीय एवं प्रत्येक जिज्ञासु के लिए प्रस्तुत है। मेरे सीमित ज्ञान का उपयोग करके प्रत्येक पाठक अपने ज्ञान को आगे भी विस्तार दें, ऐसी आशा करती हूँं। जयतु आयुर्वेद:। जयतु धन्वंतरि:।
प्रस्तुत पुस्तक पढ़कर आगे पाठकों की रुचि क्या और जानने में है, इस पुस्तक में और किस सुधार की आवश्यकता है, कृपया अपने विचार वेबसाइट rasahara.com पर डालकर सूचित करें, इतनी ही आपसे अपेक्षा है।