प्रिय विद्वत बृन्द् । आप सबों के समक्ष पार्थिव पूजन सह महामृत्युंजय जप विधि का संग्रहीय प्रयोग प्रस्तुत कर रहा हॅूँ। मेरे मन में एक लालसा थी और मित्रों का विशिष्ट परामर्श आज इस मुकाम तक पहुँचाया है। इस पुस्तक को पाठकों के हेतु सरल व रोचक तथ्यों से भरपूर बनाने का कोशिश की है। अष्टोत्तर शत विल्वार्चन हमारे विद्वत् बन्धुओं के लिए ज्ञानवर्धक साबित हो सकता है। इसके साथ ही स्वनिर्मित द्वादश ज्योतिर्लिंग आरती पाठकों के लिए नई जानकारी व जिज्ञासा प्रस्तुत कर सकता है। इस पुनीत कार्य में हमारे साथ श्री पं0 प्रमोदानन्द पाठक जी (कन्या उच्च विद्यालय विश्रामपुर, पलामू) का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। इसके लिए हम उन समस्त परिवार का आभारी है। प्रस्तुत पुस्तक में कईयों त्रुटियाँ हो सकती है। जो मार्मिक विद्वानों के द्वारा परखा जा सकता हैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूँ। इसके साथ ही सभी विद्वत् जनों का मैं आभार भी प्रकट करता हूँ।
पंडित सृष्टिकांत मिश्र
(ज्योतिष कर्मकांड साहित्य)