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हमने यह साझा काव्य-संग्रह ‘अस्मिता‘ माता तुल्य श्रीमती पुष्प लता जी एवं पिता तुल्य श्री कुंदन कुमार जी (अनुमंडल पदाधिकारी, हुसैनाबाद) को समर्पित किया है। इस समर्पण के पीछे का मूलभूत कारण है कि ये दोनों समाज और साहित्य के प्रति पूर्ण आस्था एवं विश्वास के साथ समर्पित हैं और इनके शागिर्द रहकर हमने साहित्य की बारीकियों के बारे में बहुत कुछ जाना और समझा है। इनके आवास पर बेशक़ीमती पुस्तकों का अनूठा संग्रह (लगभग 25,000 पुस्तकें) यह बताने के लिए काफ़ी है कि साहित्य के प्रति इनकी क्या अभिरुचि रही है...!