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हम सबने बचपन देखा है, जिया है, अनुभव किया है। अगर इस बचपन को सही दिशा मिल जाती है तो सारा जीवन सार्थक हो जाता है क्योंकि यही तो जीवन की नींव है, आधार है और यदि नींव मजबूत है इमारत तो बुलन्द होगी ही।
इस नींव को मजबूत बनाने का ही प्रयास है यह पुस्तक.................