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हास्य का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। हास्य, सुख का एक अद्भुत कारक है, जिसका प्रचलन आदिकाल से है। आजकल की भाग दौड़ के जीवन के तनाव को दूर करने के लिये हास्य की अनिवार्यता बढ़ती जा रही है। अधिकांश चलचित्रों में हास्य और हास्य कलाकार की अलग भूमिका होती है। यहाँ तक की धार्मिक प्रवचनों को भी रूचिकर बनाने के लिये हास्य का प्रयोग किया जा रहा है। समस्याओं का निराकरण हँसते-हँसते करने वाले चतुर बीरबल को अकबर के नवरत्नो में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई।
चुटकुला हास्य का सबसे सरल, सशक्त एवं लोकप्रिय माध्यम है। जन साधारण से लेकर जन नायक तक चुटकुलों में रूचि लेते हैं। बहुधा चुटकुलों की उत्पत्ति दैनिक बोलचाल, व्यवहार, हास-परिहस एवं परिस्थितिजन्य टिप्पणी से होता है।
जब तक बच्चों को भाषा का ज्ञान नहीं होता तब तक बच्चों को गुदगुदी करके हँसाया जाता है तत्पश्यात गुदगुदी उत्पन्न करने के लिये चुटकुलों का प्रयोग होता है। मन को गदगद करना ही गुदगुदी का अभीष्ट होता है। गदगद की स्थिति प्रसन्नता की अधिकता से होती है। संसार में सभी जीवों में से केवल मनुष्य को ही हँसने का वरदान प्राप्त हुआ है। सुख की स्थिति में मनुष्य की हँसी रूकती नहीं है और दुःख में निकलती नहीं है।
कभी-कभी अकेला चुटकुला इतनी गुदगुदी उत्पन्न नहीं कर पाता है जिससे मन गदगद हो जाये इसलिये पूरक अथवा समतुल्य अन्य चुटकुलों को सम्मलित कर गुदगुदी को गदगद के स्थिति तक पहुँचाने का प्रयत्न किया गया है।
मैंने हँसते-हँसते लिखा है और यदि आप पढ़ते-पढ़ते हँसेगे तो पुस्तक का उद्देश्य सार्थक होगा।