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बाल पहेलियाँ पुस्तक बच्चों की दिमागी कसरत की आवश्यकता को ध्यान में रखकर लिखी है। कहानियों का बच्चों के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है, उसी तरह से पहेलियाँ भी बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनकी सूझ-बूझ बढ़ाने, दिमाग को उलझा कर एक चुनौती के रूप में उलझन सुलझाने के लिए प्रेरित करती हैं। जिससे बच्चों के मन में हल कर लेने पर आत्मविश्वास बढ़ता है।
बालकों के लिए पहेलियों की अनेक शैलियाँ हैं। जैसे संख्या पहेलियाँ, क्रॉस वर्ड शब्द पहेली, संख्या शब्द पहेली, बालकों के लिए विशेष तौर पर चित्र सम्बंध पहेली आदि।
पहेली एक तरह की कविता है जो प्रश्न की तरह काम करती है। जिसमें घटनाक्रम, उदेश्य एक पंक्ति में स्पष्ट समझ न आए कविता आगे बढ़ते-बढ़ते ही बच्चे को समझ आ जाता है। थोड़ा दिमाग लगाना शुरू करता है जवाब भी मिलता है और उसे आनंद भी आने लगता है।
हम जिसे पहेली कहते है उसको अन्य नामों से भी पुकारा जाता है जैसे बुझोवल, पहेरी, लाड़नी, ताड़नई सवाल आदि। वैसे इन्हें हम किसी भी नाम से क्यों न पुकारें पहेलियाँ होती हैं, रोचक, मजेदार और दिमाग की अच्छी कसरत करवाने वाली।
बच्चों को जैसे कहानियाँ लुभाती हैं उसी तरह बच्चे पहेलियों को सुनकर एक चुनौती के रूप में जल्दी से जल्दी उसका अर्थ खोजने का प्रयास करने लगते हैं। अक्सर पहेलियाँ जहाँ बच्चों का मनोरंजन करती हैं वहीं उनकी जानकारी भी बढ़ाती है। सरल और रोचक पहेलियाँ उनका आत्म विश्वास बढ़ाती हैं वो और पहेलियाँ हल करने का प्रयास करते हैं। यदि पहेलियाँ कठिन हो तो उनकी रुचि कम हो जाती है। सभी बच्चों की एकाग्रत क्षमता अलग अलग होती है। किसी बच्चे में बैठने की क्षमता हो तो आगे प्रयास तो करता है पर जवाब नहीं मिल पाने पर वह पुस्तक रख कर अपना ध्यान दूसरी तरफ लगाने लगता है।
बच्चों की पहेलियाँ सरल हो उन्हें, जवाब खोजने के लिए कुछ संकेतों को शामिल किया जाना चाहिए।
ये पहेलियाँ सरल हैं। रोचक हैं और जवाब खोजने में मदद के तौर पर अनेक संकेत छुपे है। आशा है बच्चों को पुस्तक पसंद आएगी उनके मनोरंजन के साथ ज्ञान बढ़ाने में उपयोगी भी होगी।