सावन मन का भी हरा है

सावन मन का भी हरा है

देवेंद्र प्रताप सिंह

कविता हृदय के रस से सजी संवरी वह कृति है जिसमें कला है,कौशल है,आत्मा है और है दैहिक सौंदर्य।कविता प्रकृति की पूजा है। प्रकृति है तो सुकृति है, परोपकार है, उदारता है, सरसता है, त्याग है, सबको सब कुछ उंडेल देने का दिल है, दानी स्वभाव है। जहां यह सब है वहीं सौंदर्य है।

शासकीय संदर्भों के संघर्ष, उहापोह, आज की विकृत व्यवस्था के दबाओं से पार करते कवि का व्यक्तित्व उसके कृतित्व को कुशलता से संभाले राह सका यह प्रशंसनीय है। कवि का व्यक्ति कृति के प्रति ईमानदार है और यही उसका वास्तविक व्यक्तित्व है।

इतनी सुंदर अभिव्यक्ति है कि कवि की सराहना करनी पड़ती है।यह काव्य संग्रह लोकप्रिय होगा ऐसा हमारा विश्वास है, उनकी कलम की जादूगरी के बल पर।

विंध्यकोकिल श्री भैयालाल व्यास