खलिश by अरविन्द गौतम 'बेंदी' ISBN

खलिश

अरविन्द गौतम 'बेंदी'

झील का बड़ा सुन्दर-सा किनारा, नीला व साफ, स्वच्छ झील का पानी झील के तल को इस प्रकार दिखा रहा था कि मानों जैसे किसी पंचायत का मुखिया अपने न्याय के माध्यम से दोनों पक्षों का सन्तुष्टी की राह दिखा रहा हो। झील के किनारे से कुछ ही दूरी पर था एक ऊँचा सा पक्का चबूतरा, जहाँ पर वहाँ से गुजरने वाले रहागीर चावल, गेहूँ व बाजरे के दाने गिरा जाते थे ताकि कोई पक्षी उन्हें खाकर अपना पेट भर सके।

शाम का समय हो चुका था। अब सूर्य अपनी आज की यात्रा के समापन की तरफ अग्रसर था, अपने सात घोड़ों से सुसज्जित रथ को लेकर अपने शामनुमा महल में प्रवेश कर रहा था। इसी समय चबूतरें पर एक कबूतरों की टोली ने अपना कब्जा जमा लिया था जो कि अक्सर शाम होते ही हर रोज आ जाते थे। सब अपने-अपने में मस्त थे, व्यस्त थे। कोई इनमें दूध सा सफेद था तो कोई काजल सा काला, कोई अपने शरीर पर विभिन्न रंग समेटे था तो कोई काले व सफेद का सामंजस्य बिठाए हुए था। इन कबूतरों की संख्या करीब बीस होगी ही, इनमें कुछ नर थे। तो कुछ मादाएं भी थी। जो शाम के वक्त अक्सर अपने इस टोल के साथ रहते थे। साथ ही उड़ते-बैठते, खाते-पीते, लम्बी उड़ान भरते मगर फिर भी सब अपने तक ही सीमित थे। मगर आज कुछ अलग हो रहा था। एक कबूतर जिसके सफेद रंग पर पड़े काले धब्बे उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे। उस कबूतर की नजर सामने ही बैठी एक सफेद कबूतरी पर पड़ी। वह कबूतरी दूध सी सफेद व ताजमहल के संगमरमर सी चमक अपने पंखों में लिए हुए थी। आज कबूतर ने उस कबूतरी को पहली बार देखा था। मगर कुछ देर बाद कबूतर व कबूतरी के नयनों को आमना-सामना हुआ और आँखों ही आँखों में मानों दोनों ने एक-दूसरे को दिल दे दिया हो। कुछ समय बाद सब उड़ने की तैयारी में थे ताकि अन्धेरा होने से पहले अपने-अपने आशियानों में वापिस जा सके। मगर वो दोनों एक-दूसरे को निहारने में व्यस्त थे, दोनों एक-दूसरे की आँखों में ऐसे खोए हुए थे मानों दोनों ने एक-दूसरे को अपना जन्म-जन्म का जीवनसाथी मिल गया हो। साथी कबूतर उड़ने के कारण हुई पंखों की कड़कड़ाहट के कारण दोनों का ध्यान टूटा व दोनों ने भी पंख फैलाकर उड़ान भरी। कबूतरी चली गयी अपने आशियाने की तरफ और कबूतर बैठ गया वही झील के पास एक ठूंठ पर बने अपने कोटरनुमा आशियाने में................................

  • In LanguageHindi
  • GenreNovel
  • Date Published 06th September 2017
  • Buy Now Order Paperback at 215/- INR, (order will be deliver by mid of September 2017)
  • ISBN978-93-86895-01-1