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बाल-मन जितना सुलभ होता है उतना ही हठी भी ! हम बड़े उनके हठ पूरे भी करते रहते हैं | किन्तु कुछ हठ ऐसे होते हैं जो हर समय पूरा करना बच्चों के प्रति अन्याय हो जाता है | आज हम जहाँ देखते हैं बच्चे पीज़ा, बर्गर तथा अन्य जंक-फ़ूड की ओर भागते दिखाई देते हैं जबकि उनके शरीर और मन को पोषक खाद्य-पदार्थों की ज़रुरत होती है | देखा गया है कि कहानी व कविता के माध्यम से बच्चे पोषक खाद्य-पदार्थों में रूचि लेने लगते हैं | बच्चे अपने स्कूल में शिक्षिका के द्वारा सुनाई गई कहानी व गीत से प्रभावित होकर उन कामों में भी रूचि लेने लगते हैं जो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं होते| इस पुस्तक की रचनाएँ बच्चों को प्रेरित करने के लिए लिखी गई हैं जिनका प्रारंभ चूहे के माध्यम से खाने का महत्व समझाने की रचना से किया गया है | साथ ही रचनाओं के माध्यम से मनोरंजनपूर्ण रूप में बच्चों को संदेश देने का भी प्रयास किया गया है |