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संकरी जगह पर कोई बड़ी चीज तिरछी होकर फंस जाए तो वह वहाँ से नहीं निकल सकती। निकालने से या तो वह चीज टूटेगी या फिर जगह। नए के आने की तो कोई गुंजाइश ही नहीं। त्रिभंगी कृष्ण भी गोपी के हृदय में तिरिछे होकर फंस गए हैं और जीते-जी निकाले नहीं जा सकते।