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प्रत्येक देश की अपनी एक अवधारणा होती है। वह अवधारणा उस देश के अतीत के एक निश्चित बिन्दु पर केन्द्रित रहती है। वह बिन्दु उस देश का नाभिकीय बिन्दु कहलाता है। उस बिन्दु से सार्वभौम ऊर्जा निर्गत होकर उस देश के सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना को गतिमान रखती है। वही सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना उस देश के वर्तमान और भविष्य का श्रष्टा होती है। यह ऊर्जा जितनी अधिक व्यापक, सरल, मधुर और समुज्ज्वल होगी, उस देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय अवधारणा उतना ही प्राणवाण, विस्तृत, सुदृढ़ और दिव्य होती है।