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बालाघाट जिले के एक छोटे से गांव से एक छोटे से परिवार से हूँ।जहां मेरा गांव मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। बेरोजगारी है पर मजदूरी कर जिंदगी गुजर रही है। कुछ बेबसी के चलते बीएससी सेंकड ईयर से ही पढ़ाई छोड़ दी। 2001 से अपने जज्बात शायरी के माध्यम से कहने लगा। इश्क़ हुआ किसी से पर अधूरा ही रह गया। उसकी याद में जिंदगी की सांसे ले रहा हूँ। श्री शैलेष इनायतजी मेरे प्रेरणास्त्रोत है।कल्पनाओं के जरिये अपने जीवन की बहुत सी सच्चाई मैने ज़माने से कही है। एक ख्वाब था कि मेरे भी जज्बात एक किताब के माध्यम से सज्जनो तक पहुँचे। जिसे बुक बजूका परिवार ने पूरा किया है। मै हृदय से आभारी हूँ बुक बजूका परिवार का साथ ही सम्मानीय श्री शुभम बाजपेई जी का आप सबकी मोहब्बत व अपनेपन का बहुत-बहुत शुक्रियां।