मालती देवी-Malti Devi
मेरा जन्म सीतापुर जनपद के पिछड़े गांव जल्लापुर में सन 1979 में हुआ और मैंने ग्रामीण परिवेश में बचपन बिताया, मेरी प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण अंचल के प्रा.पा. कोटरा ब्लाक पिसावां जनपद सीतापुर में संपन्न हुई ।
प्रारंभिक शिक्षा की प्राप्ति के उपरांत हाईस्कूल की शिक्षा के लिए कृषक इंटर कॉलेज महोली में वर्ष 1991 में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश लिया और19 93 में हाईस्कूल परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण कर जल्लापुर की प्रथम हाईस्कूल उत्तीर्ण बेटी का गौरव प्राप्त किया। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए मैं जनपद बलरामपुर गई और बलरामपुर बालिका इंटर कॉलेज में प्रवेश पाकर 1995 में इंटर परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुई। स्नातक की शिक्षा के लिए बलरामपुर छोड़कर स्वतंत्रता आन्दोलन के शहीदों के नगर शाहजहांपुर आर्य महिला महाविद्यालय में बीए में प्रवेश लेकर स्नातक की पढ़ाई शुरू की अध्ययन के दौरान मेरी अनुरक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़ने लगी और मैं कॉलेज के 1998 में बी. ए. की उपाधि महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली से प्राप्त कर अपने ग्रामीण क्षेत्र की प्रथम ग्रेजुएट छात्रा के रूप में मेरा नाम दर्ज हुआ।
परास्नातक शिक्षा के लिए मुझे उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित शहर मुजफ्फरनगर जाना पड़ा जहां मैंने डीएवी कॉलेज में समाजशास्त्र में प्रवेश लिया अध्ययन के दौरान ही समाचार पत्रों में लेख लिखना प्रारंभ कर दिया । मेरे लेख एवं कविताओं से प्रभावित होकर मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री दिनेश चंद्र मिश्र द्वारा जल प्रदूषण गीत पर मुझे पुरस्कृत किया गया। जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर के उत्साहवर्धन के परिणाम स्वरूप मेरी लेखनी की धारा को बल मिला और नियमित रूप से कविताएं लिखना जारी रखा।वर्ष 2,000 मैं परास्नातक शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत में पुनः अपने गृह जनपद सीतापुर आ गई ।
अध्ययन अध्यापन में रुचि बढ़ने के कारण मैंने हिंदू कन्या महाविद्यालय सीतापुर में बी.एड. की कक्षा में प्रवेश ले लिया और छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से भी.एड. की उपाधि प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई बी. एड. की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत बीटीसी की ट्रेनिंग करने की इच्छा बलवती होने के कारण जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान खैराबाद में प्रवेश लिया और बीटीसी की परीक्षा में मेरिट में मेरा चयन हुआ।
बचपन में माता जी एवं दादी जी से लोकगीत सुनती रहती थी, जिसका प्रभाव मेरे दिलो-दिमाग की गहराई तक पहुंचा लोकगीतों के कारण शनै: शनै: मेरी रुचि कविता में बदलती गई । मुझ में वीर रस का भाव होने के कारण सन 1999 में कारगिल युद्ध के समय वीर रस की काव्य रचना की धारा प्रस्फुटित हुई ,कविताओं में लोकगीतों, मुहावरों, कहावतों का प्रयोग मेरी अपनी एक विशेष शैली रहीहै मुझे काव्य रचना की प्रेरणा मेरे परम पूज्य पिताजी स्वर्गीय यदुनंदन प्रसाद वर्मा एवं शिक्षक श्री राजेंद्र प्रसाद मिश्र एवं वर्तमान जिलाधिकारी सीतापुर श्री अखिलेश तिवारी पुलिस अधीक्षक श्री एलआर कुमार एवं विद्वान जिला जज श्री डा.अजय कृष्ण विश्वेश जी से प्राप्त हुई भविष्य में विद्वु जनों एवं न्यायमूर्ति अधिकारियों का आशीर्वाद एवं उत्साहवर्धन मुझे प्राप्त होता रहेगा और मैं समाज के उत्थान के लिए विशेषकर महिलाओं एवं कन्याओं के सर्वांगीण विकास के लिए अपना लेखन कार्य जारी रखूंगी ऐसा मेरा विश्वास है।
प्रकाशित पुस्तकें:
1- अन्नदाता
2- जननायक
3- बढ़ते कदम
4- सबलाएं
5- दिवस दीपिका