Amitabh 'Anadh'-Amitabh Kumar Tiwary
विधि (law) में स्नातक अमिताभ अपने व्यवसायिक जीवन में एक अधिवक्ता रहे हैं तथा अभी हैदराबाद (तेलंगाना) स्थित एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं। वैसे जितनी तन्मयता से अमिताभ अपने कार्य क्षेत्र से सम्बंधित क्रिया कलापों का निष्पादन करते आये हैं, उसी लगन से उन्होंने अपनी कलम से शब्दों को रचनाओं की माला में पिरोने का कार्य भी किया है।
'अनध' के नाम से लिखने वाले अमिताभ कहते हैं कि शाब्दिक सृजनात्मकता इन्हें धरोहर के रूप में अपने माता-पिता से मिली। वैसे शब्द शिल्पकारी तो ये लगभग सात साल की उम्र से ही करते आ रहे हैं परन्तु हिंदी साहित्य से इनका पहला परिचय तब हुआ जब 'माँ' ने इन्हें 'मधुशाला' पढ़ कर सुनायी। तब इनकी उम्र 10 साल की रही होगी परन्तु 'मधुशाला' के श्रवण मात्र से इनका मन-मस्तिष्क विचारों के स्पंदन से जैसे आंदोलित हो उठा और इन्होंने हिंदी साहित्य को पढ़ने और गढ़ने की प्रण लिया। माँ का मार्गदर्शन और आशीर्वाद मिला और ऐसे आरम्भ हुआ इनकी साहित्यिक यात्रा का।
तब से हिंदी भाषा एवं साहित्य 'अनध' के ह्रदय के अत्यंत समीप रहा है। इनकी इस यात्रा में हरिवंश राय 'बच्चन', महादेवी वर्मा, एवं सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' के रचनात्मक कौशल का बड़ा गहरा प्रभाव रहा है। इसी प्रभाव से वशीभूत उन्होंने व्यवसायिक एवं पारिवारिक जीवन की व्यस्तताओं के बाद भी वर्ष 2019 हिंदी में स्नातकोत्तर (MA in Hindi) की परीक्षा लगभग बहत्तर प्रतिशत अंको के साथ उत्तीर्ण की।
वे अपनी कलम के कौशल को ईश्वर का आशीर्वाद मानते हैं और स्वयं को एक शब्द साधक। उनका विश्वास है कि साहित्य समाज का दर्पण है तथा रचनाकार उसका एक सच्चा प्रहरी। अतः इनके अनुसार तात्कालिक युगीन परिवेश के धूमिल मानवीय जिजीविषाओं, जटिल अन्तर्द्वेन्दों, एवं विविध संवेदनाओं को गहरे समझना तथा उनका सहज, सरल चित्रण एक सफल लेखनी का मूलभूत उत्तरदायित्व बनता है। इन रचनाओं में वे इसी उत्तरदायित्व का निर्वाहन करते दिखते हैं।
प्रकाशित पुस्तक
- अमिताभ से अमिताभ तक