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विभिन्न विषयों पर समय समय पर लिखे गए मेरे समसामयिक व अन्य लेखों का ही संग्रह है गुलदस्ता। इसलिए विषयों में सामंजस्य कम ही मिलेगा। फिर भी हर लेख अपने आप में विशिष्ट है। पुस्तक की प्रूफ रीडिंग, प्रकाशन व प्रकाशन का गणित लेखों में मेरे निजी अनुभव और सीख शायद नए लेखकों के लिए बहुत सहायक होंगे।अनुवाद की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते हुए साहित्य में अनुवादक की महत्वपूर्ण भूमिका भी दर्शाई गई है, जो साहित्य में उसकी महत्ता को दर्शाता है। कुछ विशिष्ट नजर पत्रकारिता में परिवर्तन व वर्तमान पत्रकारिता पर भी डाली गई है।
हर बार की तरह इस बार भी पुस्तक की प्रूफ रीडिंग और मुख पृष्ठांकन में श्रीमती मीना शर्मा का भरपूर सहयोग मिला है। निश्चय ही मेरे लिए उनका यह सहयोग महत्वपूर्ण व प्रशंसनीय है। मैं उनका तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।
अब तक की मेरी चारों पुस्तकों को पाठकों ने बहुत सराहा है। कुछ पाठकों ने कहानियों और लेखों को नेट और मेरे ब्लॉग पर पढकर रुचिकर टिप्पणियाँ भी दी हैं । मैं अपने पूरे पाठक वर्ग का आभार व्यक्त करता हूँ ।
अंत में प्रकाशक बजूका की पूरे टीम का आभार जिनके सहयोग के बिना मेरी रचनाओं का यह पुस्तक रूप असंभव ही था।
अब पाँचवीं पुस्तक “गुलदस्ता” आपके हाथों में है। मुझे आशा है कि यह भी आपको पसंद आएगी। पढ़िए, विवेचना कीजिए और सुधार हेतु संभव सुझाव भी दीजिए।
माड़भूषि रंगराज अयंगर
सिकंदराबाद, तेलंगाना।